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एम्ब्रियो ट्रांसफर क्या है और कैसे किया जाता है?

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यह IVF की पूरी प्रक्रिया का सबसे अहम और निर्णायक चरण होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये एम्ब्रियो ट्रांसफर होता क्या है? इसे कैसे किया जाता है? और इसके बाद किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है?

अगर नहीं, तो यह ब्लॉग आपके लिए ही है। इसमें हम एम्ब्रियो ट्रांसफर से जुड़े हर जरूरी सवाल का जवाब बहुत ही आसान भाषा में और विस्तार से जानेंगे। तो चलिए, शुरू करते हैं!

एम्ब्रियो ट्रांसफर क्या है? (What is Embryo Transfer?)

अब, एम्ब्रियो ट्रांसफर एक ऐसी मेडिकल प्रक्रिया है जिसमें इस नन्ह���ं एम्ब्रियो (भ्रूण) को लैब में तैयार करने के बाद, उसे सावधानी से महिला के गर्भाशय (Uterus) में पहुँचाया जाता है। यह पूरी तरह से एक कोमल और निष्फल (Sterile) प्रक्रिया है जिसमें किसी तरह की चीरे-फाड़ी (Surgery) की ज़रूरत नहीं पड़ती।

साधारण शब्दों में कहें तो, जैसे एक बागवान पहले नर्सरी में पौधे तैयार करता है और फिर उन्हें खेत की अच्छी तरह तैयार की गई मिट्टी में रोप देता है, ठीक वैसे ही डॉक्टर लैब में एम्ब्रियो तैयार करते हैं और फिर उसे महिला की गर्भाशय की अस्तर (Uterine Lining) में स्थापित कर देते हैं, ताकि वह वहाँ implant हो सके और गर्भावस्था (Pregnancy) शुरू हो सके।

यह प्रक्रिया IVF या ICSI जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों (Assisted Reproductive Technologies - ART) का आखिरी चरण होती है।

यह भी पढ़ें: ब्लास्टोसिस्ट स्थानांतरण (Blastocyst Transfer) क्या है?

प्रक्रिया: एम्ब्रियो ट्रांसफर कैसे किया जाता है? (The Process: How is it Done?)

अब आते हैं मुख्य सवाल पर – एम्ब्रियो ट्रांसफर कैसे किया जाता है? यह प्रक्रिया सरल लगती है, लेकिन इसके पीछे बहुत सारी तैयारी होती है। पूरी प्रक्रिया लगभग 15-20 मिनट में पूरी हो जाती है। चलिए इसे स्टेप बाय स्टेप समझते हैं:

1. तैयारी (Preparation):

• महिला की तैयारी: ट्रांसफर से पहले, डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि महिला का गर्भाशय एम्ब्रियो को ग्रहण करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके लिए कुछ दवाओं (जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) का इस्तेमाल किया जाता है ताकि गर्भाशय की अंदरूनी परत (Endometrium) मोटी, स्वस्थ और स्पंजी हो जाए।

• एम्ब्रियो का सिलेक्शन (चयन): लैब में, एम्ब्रियोलॉजिस्ट (भ्रूण विशेषज्ञ) उपलब्ध एम्ब्रियो में से सबसे स्वस्थ और बेहतरीन गुणवत्ता वाले एम्ब्रियो का सिलेक्शन (चयन) करते हैं। एम्ब्रियो के विकास (3 दिन का या 5 दिन का ब्लास्टोसिस्ट) और गुणवत्ता के आधार पर यह फैसला लिया जाता है।

2. ट्रांसफर का दिन (The Transfer Day):

• महिला को ऑपरेशन थिएटर में लेटाया जाता है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर बेहोशी (Anesthesia) की ज़रूरत नहीं पड़ती, हालाँकि कभी-कभी हल्की सिडेशन दी जा सकती है।

• महिला का पेल्विक एरिया साफ किया जाता है और एक स्पेकुलम (Speculum) नाम का उपकरण योनि में डालकर गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) को दिखाया जाता है, बिल्कुल पैप स्मीयर टेस्ट की तरह।

3. एम्ब्रियो को लोड करना (Loading the Embryo):

लैब में, चुने हुए एम्ब्रियो(s) को एक बहुत ही पतली, नरम और लचीली प्लास्टिक की ट्यूब (कैथेटर) में रखा जाता है। यह कैथेटर एक सिरिंज से जुड़ी होती है। एम्ब्रियोलॉजिस्ट माइक्रोस्कोप की मदद से इसे बड़ी सावधानी से करते हैं।

4. एम्ब्रियो को स्थानांतरित करना (Transferring the Embryo):

• डॉक्टर उस कैथेटर को योनि और गर्भाशय ग्रीवा के रास्ते से गर्भाशय में बहुत ही आराम से डालते हैं। इस दौरान अल्ट्रासाउंड मशीन की मदद ली जाती है ताकि कैथेटर की सही जगह पर नज़र रखी जा सके।

• एक बार जब कैथेटर गर्भाशय के एकदम सही स्थान पर पहुँच जाता है, तो डॉक्टर सिरिंज को धीरे से दबाकर एम्ब्रियो को गर्भाशय में छोड़ देते हैं।

• फिर कैथेटर को बहुत सावधानी से बाहर निकाल लिया जाता है और एम्ब्रियोलॉजिस्ट यह जाँच करते हैं कि कहीं एम्ब्रियो कैथेटर में अटका तो नहीं रह गया।

5. आराम (Rest):

• प्रक्रिया पूरी होने के बाद, महिला को कुछ देर (लगभग 30-45 मिनट) लेटे रहने के लिए कहा जाता है, ताकि शरीर आराम कर सके।

यह पूरी प्रक्रिया बिल्कुल दर्द रहित होती है। कुछ महिलाओं को हल्की ऐंठन या बेचैनी महसूस हो सकती है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में यह बहुत आसानी से हो जाती है।

यह भी पढ़ें: आईवीएफ क्या है? प्रक्रिया, सक्सेस रेट, और फायदे |

कब और क्यों एम्ब्रियो ट्रांसफर किया जाता है? (When and Why is it Done?)

क्यों किया जाता है? (Why it is Done) - 

मुख्य वजह है फर्टिलिटी स्वास्थ्य में बिगाड़ की कारण होने वाली नि:संतानता की समस्या। जब प्राकृतिक तरीके से गर्भ नहीं ठहरता, तो आईवीएफ से भ्रूण बाहर बनाकर ट्रांसफर करते हैं। इससे सफलता की संभावना 40-50% तक पहुंच जात�� है।

कुछ मामलों में, अगर कपल डोनर एग या स्पर्म इस्तेमाल करता है, तो भी ट्रांसफर ही अंतिम स्टेप है। 

नि:संतानता की समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे:

• फैलोपियन ट्यूब में Blockage या Damage: अगर महिला की फैलोपियन ट्यूब बंद हैं या खराब हैं, तो स्त्रीबीज और शुक्राणु का मिलना मुश्किल हो जाता है।

Endometriosis: एक ऐसी स्थिति जहाँ गर्भाशय की अंदरूनी परत जैसे Tissue शरीर के दूसरे हिस्सों में बढ़ने लगते हैं, जिससे फर्टिलिटी प्रभावित होती है।

• पुरुषों में शुक्राणु की कमी (Low Sperm Count) या गुणवत्ता में कमी: जब पुरुष के शुक्राणु संख्या में कम हों, गति/हालचाल कम हो या आकार सही न हो।

• अस्पष्ट नि:संतानता (Unexplained Infertility): जब सभी टेस्ट सामान्य हैं, फिर भी गर्भधारण नहीं हो पा रहा।

• Ovulation Disorders: अगर महिला में अनियमित ओवुलेशन या स्त्रीबीज नहीं बनते।

• Genetic Disorders: कुछ आनुवंशिक बीमारियों को पारित होने से रोकने के लिए भी IVF और एम्ब्रियो ट्रांसफर किया जाता है।

यह भी पढ़ें: ICSI ट्रीटमेंट क्या है और कैसे काम करता है?

कब किया जाता है? (When it is Done) 

ट्रांसफर का सही समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह महिला के मासिक धर्म चक्र (पीरियड्स) और गर्भाशय की तैयारी पर निर्भर करता है।

• ताज़ा एम्ब्रियो ट्रांसफर (Fresh Transfer): इसमें महिला के स्त्रीबीज निकालने (Egg Retrieval) के 3 से 5 दिन बाद ही एम्ब्रियो ट्रांसफर कर दिया जाता है।

• फ्रोजन एम्ब्रियो ट्रांसफर (Frozen Transfer): कई बार सभी एम्ब्रियो को फ्रीज़ कर संरक्षित कर लिया जाता है। फिर बाद में, महिला के शरीर को दवाओं के साथ तैयार करके, किसी भी सुविधाजनक समय पर इन फ्रोजन एम्ब्रियो को पिघलाकर (Thaw) ट्रांसफर किया जाता है। यह तरीका आजकल बहुत आम है क्योंकि इसमें सफलता की दर अच्छी होती है और महिला का शरीर Egg Retrieval के तनाव से उबर चुका होता है।

ट्रांसफर के बाद की देखभाल (Aftercare Post Transfer)

एम्ब्रियो ट्रांसफर के बाद का समय बहुत नाज़ुक और महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान की गई छोटी-छोटी बातों का असर सफलता पर पड़ सकता है।

1. आराम है ज़रूरी (Rest is Important):

ट्रांसफर के बाद के 24-48 घंटे ख़ास होते हैं। भले ही पूरा बिस्तर पकड़ने की ज़रूरत नहीं, लेकिन ज़्यादा से ज़्यादा आराम करें। भारी काम, वजन उठाना, ज़ोर लगाना, लंबे समय तक खड़े रहना या सीढ़ियाँ चढ़ना-उतरना टालें।

2. दवाएँ नियमित लें (Take Medications Regularly):

डॉक्टर आपको प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की दवाएँ (गोलियाँ, इंजेक्शन या जेल) देंगे। ये दवाएँ गर्भाशय की परत को मज़बूत रखने और एम्ब्रियो के implantation में मदद करती हैं। इन्हें बिल्कुल नियमित और सही समय पर लेना ज़रूरी है।

3. संतुलित आहार लें (Eat a Balanced Diet):

• हल्का, पौष्टिक और आसानी से पचने वाला खाना खाएं।

• प्रोटीन युक्त भोजन (दाल, अंडा, पनीर), फाइबर युक्त चीज़ें (हरी सब्ज़ियाँ, फल) और खूब सारा पानी पिएं ताकि कब्ज़ न हो।

• बाहर का तला-भुना, जंक फूड, और कैफीन (चाय-कॉफी) का सेवन कम करें।

4. शारीरिक और मानसिक तनाव से बचें (Avoid Physical and Mental Stress):

• कोई भी भारी एक्सरसाइज न करें। हल्की-फुल्की टहलना ठीक है।

• तनाव न लें। पॉज़िटिव सोचें। किताब पढ़ें, संगीत सुनें। मेडिटेशन और ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से भी मन शांत रहता है।

5. लक्षणों पर नज़र रखें (Monitor Symptoms):

• हल्की ऐंठन या स्पॉटिंग (हल्का रक्तस्राव) होना सामान्य हो सकता है, यह implantation का संकेत भी हो सकता है।

• लेकिन अगर तेज़ दर्द, भारी ब्लीडिंग या बुखार हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

6. प्रेग्नेंसी टेस्ट से पहले धैर्य रखें (The Dreaded 2-Week Wait):

ट्रांसफर के बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाने के लिए लगभग 12-14 दिन का इंतज़ार करना पड़ता है। इस बीच घर पर टेस्ट किट का इस्तेमाल करके चेक करने की कोशिश न करें। इससे गलत नतीजे आ सकते हैं और तनाव बढ़ सकता है। डॉक्टर द्वारा बताए गए ब्लड टेस्ट (Beta hCG Test) का ही इंतज़ार करें।

यह भी पढ़ें: गर्भधारण करने में समस्या? जानिए मेडिकल और फर्टिलिटी उपचार

सफलता दर और सफलता बढ़ाने के टिप्स (Success Rate and Tips to Improve Success)

एम्ब्रियो ट्रांसफर की सफलता दर कई बातों पर निर्भर करती है और हर कपल के लिए अलग हो सकती है। मुख्य कारक हैं:

· महिला की उम्र: 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में सफलता की दर सबसे ज़्यादा (40-50% या उससे भी अधिक) होती है। उम्र बढ़ने के साथ स्त्रीबीजों की गुणवत्ता कम होती जाती है, इसलिए सफलता दर भी घट जाती है।

· एम्ब्रियो की गुणवत्ता: एक स्वस्थ और अच्छी गुणवत्ता वाले एम्ब्रियो के implant होने की संभावना ज़्यादा होती है।

· गर्भाशय की स्थिति: गर्भाशय की अंदरूनी परत का मोटा और स्वस्थ होना बहुत ज़रूरी है।

· पिछले IVF साइकिल्स का इतिहास

· डॉक्टर और लैब का अनुभव

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सफलता बढ़ाने के लिए टिप्स (Tips for Success)

1. सही डॉक्टर और क्लिनिक चुनें: अनुभवी डॉक्टर और अच्छी लैब सुविधाओं वाला क्लिनिक चुनें।

2. जीवनशैली में सुधार: IVF शुरू करने से पहले ही दोनों पार्टनर्स स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ। धूम्रपान और शराब से दूर रहें। हेल्दी डाइट और हल्के एक्सरसाइज को रुटीन में शामिल करें।

3. वजन को नियंत्रित रखें: ज़्यादा वजन या कम वजन दोनों ही हार्मोन्स को प्रभावित कर सकते हैं।

4. दवाएँ समय पर लें: ovarian stimulation से लेकर progesterone तक, सभी दवाएँ डॉक्टर के निर्देशानुसार ज़रूर लें।

5. पॉज़िटिव रहें और तनाव मुक्त रहें: तनाव शत्रु है। इमोशनल सपोर्ट के लिए अपने पार्टनर, फैमिली, दोस्त या काउंसलर से बात करें।

यह भी पढ़ें: आपके लिए सही फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कैसे चुने?

निष्कर्ष- 

एम्ब्रियो ट्रांसफर एक प्रभावी और सुरक्षित प्रक्रिया है, जो आपका माता-पिता बनने का सपना पूरा कर सकती है। यह जरूरी है कि इस प्रक्रिया के हर चरण को अच्छे से समझें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें। अगर आपके मन में कोई संदेह या सवाल हो, तो तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें ताकि आपकी यात्रा सुरक्षित और सफल हो।

Frequently Asked Questions

1. एम्ब्रियो ट्रांसफर क्या होता है?  

एम्ब्रियो ट्रांसफर आईवीएफ का एक हिस्सा है जिसमें लैब में बने एम्ब्रियो (भ्रूण) को महिला के गर्भाशय में डाला जाता है ताकि गर्भ ठहर सके।

2. ट्रांसफर की प्रक्रिया कैसी होती है?  

डॉक्टर एक पतली ट्यूब की मदद से एम्ब्रियो ��ो योनि के रास्ते गर्भाशय में डालते हैं, यह प्रक्रिया कुछ मिनटों में बिना दर्द के हो जाती है और अल्ट्रासाउंड से देखा जाता है।

3. ट्रांसफर के बाद क्या करना चाहिए?  

ट्रांसफर के बाद थोड़ा आराम करें, डॉक्टर की दी दवाएं समय पर लें और सामान्य दिनचर्या जारी रखें लेकिन ज्यादा थकान से बचें।

4. ट्रांसफर के बाद क्या लक्षण हो सकते हैं?  

ट्रांसफर के बाद हल्का ऐंठन, थोड़ा खून बहना, सूजन या थकान जैसे लक्षण हो सकते हैं, लेकिन ये सामान्य हैं और कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं।

5. प्रेग्नेंसी की जाँच कब करें?  

प्रेग्नेंसी की जाँच ट्रांसफर के 10 से 14 दिन बाद ब्लड टेस्ट या होम किट से करें, डॉक्टर की सलाह से।

6. ट्रांसफर के बाद क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?  

ट्रांसफर के बाद भारी सामान न उठाएं, तनाव से बचें, स्वस्थ खाना खाएं, धूम्रपान या शराब से दूर रहें और डॉक्टर से बताए बिना कोई नई दवा न लें।

~ Verified by Progenesis Fertility Center's Expert Doctors

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